अगर गंदे पानी में पली हुई मछली खा ली तो कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक…..

नॉनवेजिटेरियन खाना खासकर मछली खाने के हैं शौकीन तो यह खबर आपको थोड़ा परेशान कर सकती है. दरअसल, एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप (ईडब्ल्यूजी) में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक मीठे पानी में पाई जाने वाली मछली हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि मीठे पानी में पाई जाने वाली मछली खासकर लार्गेमाउथ बास, लेक ट्राउट, या कैटफ़िश में  एक विशेष तरह की कैमिकल पाई जा रही है. जिसे पेरफ्लुओरोक्टेन सल्फोनिक एसिड (PFOS) कहा जाता है. यह कैमिकल  मीठे पानी की मछलियों में 278 गुना पाई जा रही है. यह कैमिकल इतनी ज्यादा खतरनाक है कि इससे कैंसर के साथ-साथ कई दूसरी गंभीर बीमारी हो सकती है.

एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप ने पेश की रिपोर्ट

एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप (ईडब्ल्यूजी) कि रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के मीठे झील और तलाब में पाई जाने वाली मछली को अगर खाते हैं तो वह एक मछली महीने भर के गंदा पानी के बराबर हो सकता है.  यह गंदा पानी पीएफओएस से दूषित पानी के बराबर हो सकता है. यह ट्रिलियन में औसतन 48 गुणा के बराबर है.

अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी
अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने जो डेटा एक्ट्ठा किया है उसमें पाया गया है कि PFOS और दूसरे कैमिकल की औसत मात्रा PFAS के रूप में वर्गीकृत की गई है.  परफ्लुओरिनेटेड अल्काइलेटेड पदार्थ, बिजनस के लिए पकड़ी गई मछलियों की तुलना में मीठे पानी की मछलियों में 280 गुना कैमिकल अधिक थे.

न्यू यॉर्क में रेंससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट

न्यू यॉर्क में रेंससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में बॉयोलोजिकल साइंस के एक सहयोगी प्रोफेसर डॉ केविन सी रोज़ ने उन्होंने कहा कि शीर्ष खारे पानी के हेल्थलाइन को बताया कि पाइक, ट्राउट और बास जैसे मीठे पानी की मछली में हाई लेवल के कैमिकल मिल रहे हैं.
खारे पानी की मछलियों खासकर स्वोर्डफ़िश और टूना में भी हाई लेवर की मर्करी मिलती है.

मीठे पानी की मछली में होते हैं कई खतरनाक कैमिकल

अमेरिका में हुए रिसर्च में साल 2013 से 2015 के EPA, नेशनल रिवर एंड स्ट्रीम्स असेसमेंट, और ग्रेट लेक्स ह्यूमन हेल्थ फिश फिलेट टिशू स्टडी और प्रोग्राम के 500 से अधिक नमूनों के डेटा को इस रिसर्च में शामिल किया गया.

ग्रेट लेक्स में 11,800 नैनोग्राम प्रति किलोग्राम के औसत स्तर के साथ मछली के टुकड़ों में कुल पीएफएएस का औसत स्तर 9,500 नैनोग्राम प्रति किलोग्राम था.

क्या है फॉरेवर केमिकल

मीठे पानी की मछली में पाए जाने वाली मछली को पर-एंड-पॉलीफ्लूरोकिल सब्सटेंस( PFAS) कहते हैं. ये वो केमिकल है जो नॉनस्टिक या फिर वॉटर- रेजिस्टेंट कपड़ों पर होते हैं. जैसे- रेनकोट, छाता या मोबाइल के कवर पर होता है. शैंपू, नेल पॉलिश और आई-मेकअप पर भी यह केमिकल होता है. कई रिसर्च में यह बात साफ कही गई है.

क्यों ये फॉरेवर केमिकल ह्यूमन के लिए माना जा रहा है खतरनाक

यह केमिकल ह्यूमन के लिए इसलिए खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इसका सीधा असर इंसान के ग्रोथ और हार्मोन्स पर पड़ता है. जिसकी वजह से थायरॉइड और कोलेस्ट्रोल का खतरा बढ़ जाता है. प्रग्नेंट औरतों का मिसकैरेज  होने का खतरा बढ़ जाता है. बच्चों के शरीर का ग्रोथ पर भी असर पड़ता है. साथ ही ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है.  साल 2017 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने PFOA को साफ तौर पर ह्यूमन कार्सिनोजन ने कहा- इन केमिकल से कैंसर और किडनी और टेस्टिस के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

hacklink al fethiye escort hack forum organik hit betofficeMostbetonwin girişcasibom güncel girişistanbul escortscasibommeritking 1601bettilt yeni girişcasibomCanlı bahis sitelerideneme bonusu veren sitelersekabet twitteraviator game download apk for androidmeritkingbettiltonwin girişdeneme bonusu veren siteler forumÇeşme escortjojobetcasibomcasibommeritking cumaselçuksportstaraftarium24pusulabetGrandpashabetGrandpashabetextrabethttps://mangavagabond.online/de/map.phphttps://mangavagabond.online/de/pornpornmeritkingmeritkingextrabet girişextrabetmeritkingmeritkingjojobethttps://techholders.comzendayalistcrawlerus teacher appreciation weekaniwavemarsbahismeritkingmeritkingmeritkingmeritkingCasibom GüncelgalabetMeritkingcasibomonwinvirabet girişgo