उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के चंडीगढ़ स्थित आवास के बाहर की सड़क परीक्षण के तौर पर आम लोगों की आवाजाही के लिए खोलने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री पर खतरे का दावा करने वाली याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया। पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा, “कोई नहीं चाहता कि कुछ भी अप्रिय घटित हो।
परीक्षण के तौर पर सड़क खोलने के निर्देश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है, लेकिन उच्च न्यायालय अपने समक्ष रिट याचिका की कार्यवाही जारी रह सकती है।’ शीर्ष अदालत ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की दलील को रिकॉर्ड में लिया कि हाल के वर्षों में दुर्भाग्य से आतंकवाद फिर से बढ़ गया है और खुफिया भवन पर हथगोले फेंके गए। सिंह ने दलील देते हुए पीठ के समक्ष कहा कि परीक्षण के तौर पर भी उक्त सड़क को आम लोगों के लिए खोलना उचित नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की कथित हत्या का उदाहरण दिया और कहा कि उनकी सुरक्षा वापस लेने के तुरंत बाद उन्हें कथित तौर पर मार दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को अपने एक आदेश में चंडीगढ़ प्रशासन को एक मई से परीक्षण आधार पर मुख्यमंत्री आवास के सामने 500 मीटर की सड़क को आम लोगों की आवाजाही के लिए खोलकर यातायात की भीड़ को कम करने की योजना बनाने का निर्देश दिया था। इसके मद्देनजर एक मई से सभी कार्य दिवसों पर सुबह सात बजे और शाम सात बजे तक परीक्षण के आधार पर शुरू किया जाना था। वर्ष 1980 के दशक में उग्रवाद और आतंकवाद के बढ़ते मामलों के कारण सड़क का विशेष खंड बंद कर दिया गया था।