जालंधरः वार्डबंदी को लेकर हाई कोर्ट का आया फैसला

जालंधरः नगर निगम की नई वार्डबंदी के विवाद में आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नोटिस जारी कर नगर निगम के अधिकारियों को नई वार्डबंदी का सारा रिकॉर्ड और उन पर दर्ज हुई सारी आपत्तियों का डेटा लेकर आने के आदेश दिए थे।

आदेश के अनुसार अधिकारी नई वार्डबंदी का सारा रिकार्ड और उस पर दर्ज 119 आपत्तियों का रिकार्ड लेकर हाई कोर्ट में पहुंचे। कोर्ट में रिकार्ड पेश करने के बाद बैंच ने सारे रिकार्ड को खंगालने और आपत्तियों को देखने के बाद केस में अगली तारीख 29 सितंबर दे दी है। लेकिन अभी तक कोर्ट ने इस मामले में किसी तरह का स्टे (स्थगन आदेश) नहीं दिया है।

बता दें कि कांग्रेस के पूर्व विधायक और जालंधर कांग्रेस के प्रधान राजिंदर बेरी और अन्य लोगों ने नगर निगम की नई वार्डबंदी पर आपत्ति जताई थी, लेकिन निगम के अधिकारियों ने उनकी आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद वह नए ड्राफ्ट में कमियों को लेकर हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे। उसी के बाद से चुनाव लटके हुए हैं।

नए ड्राफ्ट में बहुत सारी खामियां राजिंदर बेरी, पूर्व कांग्रेस पार्षद जगदीश दकोहा, पूर्व विधायक प्यारा राम धन्नोवाली के पौत्र अमन ने अपने वकीलों एडवोकेट मेहताब सिंह खैहरा, हरिंदर पाल सिंह ईशर तथा एडवोकेट परमिंदर सिंह विग के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि नगर निगम ने वार्डबंदी को लेकर जो नया ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें बहुत सारी खामियां हैं।

जहां SC आबादी ज्यादा, वह जनरल और जहां कम, वह रिजर्व नगर निगम के नए वार्डबंदी के ड्राफ्ट पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि जो नए वार्ड बनाए गए हैं, उनमें रिजर्वेशन रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया। जिन वार्डों में अनुसूचित जाति (SC) के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है, उन्हें जनरल में डाल दिया गया है, जबकि जिन वार्डों को छोटा किया गया है और जिनमें अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या कम है, उन्हें रिजर्व कर दिया गया है।

डिलिमिटेशन बोर्ड की बैठक में नहीं बुलाए सदस्य याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नई वार्डबंदी को लेकर जो बोर्ड गठित किया गया था, उसमें 5 एसोसिएट सदस्य भी थे, लेकिन हैरानी की बात है कि इन एसोसिएट सदस्यों को न तो डिलिमिटेशन बोर्ड की बैठक में बुलाया गया और न ही उन्हें बोर्ड से हटाने के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी किया गया।

सरकार ने अपने 2 सदस्य बोर्ड में मनोनीत कर दिए, जबकि सरकार एक ही सदस्य मनोनीत कर सकती है। याचिका में तर्क दिया गया है कि जिसमें सदस्यों को लेकर ही इतना ज्यादा झोल है, वह डिलिमिटेशन बोर्ड ठीक कैसे हो सकता है। बोर्ड अवैध है और इसके द्वारा तैयार किया गया वार्डबंदी का ड्राफ्ट स्वतः गैरकानूनी है।

hacklink al hack forum organik hit kayseri escort mariobet girişMostbetslot sitelerideneme bonusu veren sitelertiktok downloadergrandpashabetdeneme bonusu veren sitelerescort1xbet giriştipobetfixbetjojobetmatbetpadişahbetpadişahbetYalova escortholiganbet