नई दिल्ली,: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने भारतीय सेना में सिख सैनिकों के लिए हेलमेट लागू करने के फैसले को बेहद निंदनीय बताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें और फैसले को वापिस करवाएं।
यहां जारी एक बयान में सरदार कालका और सरदार काहलों ने कहा कि भारत के इतिहास में ब्रिटिश काल में जब से सेना का गठन हुआ है तो उसमें सिख युवक हमेशा बढ़-चढ़ कर हिस्सा बनते रहे हैं तथा अंग्रेजों के लिए प्रथम विश्व युद्ध व द्वितिय विश्व युद्ध सहित कई अन्य युद्धों का हिस्सा रहे हैं। अंग्रेजों ने कभी भी सिख सैनिकों के लिए हेलमेट अनिवार्य नहीं किया।
दोनों नेताओं ने कहा कि भारत की आजादी के बाद भी सिख सैनिक हमेशा भारतीय सेना का अभिन्न अंग रहे हैं और सिख सैनिक देश की सीमाओं पर सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। सिख सैनिक शहादत देने में भी पीछे नहीं हैं जितनी शहादतें सेना में सिख फौजियों की होती हैं शायद ही किसी अन्य वर्ग की होती हों। हेलमेट डालना सिख धर्म के उसूलों व मर्यादा के खिलाफ है जिसे देश के शासक हमेशा समझते रहे हैं इसलिए सिख सैनिकों के लिए कभी हेलमेट को अनिवार्य नहीं किया गया।
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अपील करते हुए कहा कि वह इस संजीदा मामले में स्वयं सीधे हस्तक्षेप करें। सिखों के सर्वाेच्च संस्थान श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि पूरा सिख समुदाय हमेशा श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया में कार्य करता है इसलिए जो बात सिख धर्म के उसूलों व मर्यादा के खिलाफ हो उसे सिख कभी स्वीकार नहीं कर सकते फिर चाहे सेना में शामिल सिख ही क्यों न हो।
उन्होंने अपील करते हुए कहा कि इस फैसले को तुरंत रद्द किया जाए और सिख सैनिकों को मानसिक दबाव से राहत दी जाए।