स्पीच थेरेपी में डिग्री या डिप्लोमा रखने वाले व्यक्ति को स्पीच थैरेपिस्ट कहा जाता है। बोलने और सुनने से सम्बंधित विकारों के इलाज के लिए लोगों में बढ़ती जागरूकता ने इन विशेषज्ञों की मांग को बढ़ा दिया है। इसलिए एक स्पीच थैरेपिस्ट के रूप में करियर इच्छुक छात्रों के लिए काफी अच्छा साबित हो रहा है।
स्पीच थैरेपिस्ट कौन होते हैं?
स्पीच थैरेपिस्ट को स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (एसएलपी) और स्पीच पैथोलॉजिस्ट भी कहा जाता है। स्पीच थैरेपिस्ट बच्चों और वयस्कों का इलाज करता है और उन्हें उचित काऊंसलिंग देता है। स्पीच थैरेपी स्वास्थ्य विज्ञान की एक संबद्ध शाखा है जो किसी व्यक्ति के स्पीच, आवाज और भाषा के विकार से संबंधित है। हाल के दिनों में स्पीच थैरेपी और आडियोलॉजी एक आशाजनक करियर विकल्प बन गए हैं। स्पीच थैरेपी में डिग्री या डिप्लोमा रखने वाले व्यक्ति को स्पीच थैरेपिस्ट कहा जाता है। बोलने और सुनने से सम्बंधित विकारों के इलाज के लिए लोगों में बढ़ती जागरूकता ने इन विशेषज्ञों की मांग को बढ़ा दिया है।
इसलिए एक स्पीच थैरेपिस्ट के रूप में करियर इच्छुक छात्रों के लिए काफी अच्छा साबित हो रहा है। बचपन में देर से बोलना और हकलाना स्पीच डिसआर्डर के कुछ उदाहरण हैं। मनोवैज्ञानिक आघात और मिस्तष्क पक्षाघात जैसे जन्मजात दोषों सहित विभिन्न कारणों से भाषण विकार हो सकते हैं। स्पीच थैरेपिस्ट और आडियोलॉजिस्ट उन वृद्ध लोगों और वयस्कों के साथ भी काम करते हैं, जिन्होंने स्ट्रोक, दुर्घटना, स्वरयंत्र को हटाने (कैंसर के कारण) जैसे चिकित्सा कारणों से संवाद करने की अपनी क्षमता खो दी हो। इसके अलावा एक स्पीच थैरेपिस्ट के काम में उन लोगों के साथ काम करना भी शामिल होता है जो बोलने में असमर्थ होते हैं और वो उन्हें वोकल एक्सरसाइज सिखाते हैं, ताकि उनकी बोलचाल और अभिव्यक्ति की क्षमता में सुधार हो सके। वे उन लोगों को भी सांकेतिक भाषा सिखाते हैं जो पूरी तरह से बोलने में अक्षम हैं।
पात्रता मापदंड:
स्पीच थैरेपी में सफल करियर के इच्छुक उम्मीदवार अंडर-ग्रेजुएट कोर्स में जाकर शुरु आत कर सकते हैं। हालांकि इन पाठ्यक्र मों के लिए पात्र होने के लिए आपके पास साइंस बैकग्राऊंड होना चाहिए। ग्रेजुएशन के बाद अगर आप स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं तो यूनिविर्सटीज द्वारा आॅफर किए जाने वाले स्पीच थैरेपी में मास्टर्स कर सकते हैं।
कोर्स जो आप कर सकते हैं:
मास्टर ऑफ़ आडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी – 2 वर्ष
-बैचलर ऑफ़ आडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी – 4 साल
डिप्लोमा इन हियरिंग, लैंग्वेज एंड स्पीच – 1 वर्ष
पोस्ट ग्रेजुएट सिर्टिफिकेट कोर्स इन आडिटरी वर्बल थेरेपी – 6 महीन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़
अखिल भारतीय भाषण और श्रवण संस्थान, मैसूर
उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद
बॉम्बे विश्वविद्यालय, मुंबई
टीएन मैडिकल कॉलेज, मुंबई
इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पीच एंड हियरिंग, बैंगलोर
भारतीय स्वास्थ्य शिक्षा संस्थान, पटना करियर की संभावनायें